दीपा मलिक जीवन परिचय

दीपा मलिक का जीवन परिचय (Deepa Malik Biography in Hindi)

दीपा मलिक (जन्म: 30 सितंबर 1970), शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो के साथ-साथ तैराकी एवं मोटर रेसलिंग से जुड़ी एक विकलांग भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 2016 पैरालंपिक में शॉटपुट में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। 30 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद उन्होने न केवल शॉटपुट एवं ज्वलीन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। उन्होने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं। वे भारत की एक ऐसी पहली महिला है जिसे हिमालय कार रैली में आमंत्रित किया गया। वर्ष 2008 तथा 2009 में उन्होने यमुना नदी में तैराकी तथा स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया। यही नहीं, सन् 2007 में उन्होने ताइवान तथा 2008 में बर्लिन में जवेलिन थ्रो तथा तैराकी में भाग लेकर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किया। कोमनवेल्थ गेम्स की टीम में भी वे चयनित की गई। पैरालंपिक खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हे भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया।
रियो पैरालिंपिक खेल- 2016 में दीपा मलिक ने शॉट-पुट में रजत पदक जीता, दीपा ने 4.61 मीटर तक गोला फ़ेंका और दूसरे स्थान पर रहीं। पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा पहली भारतीय महिला बन गई हैं।
दिग्गज खिलाड़ियों द्वारा सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और निशानेबाज़ अभिनव बिन्द्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने इतिहास रचने वाली दीपा मलिक की जमकर प्रशंसा की है। दीपा पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हो गई हैं।
ट्यूमर की वजह से दीपा के 31 ऑपरेशन हुए थे
दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवा से ग्रस्त है. वह सेना के अधिकारी की पत्नी और दो बच्चों की मां हैं. 17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था, दीपा के 31 ऑपरेशन किए जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे. गोला फेंक के अलावा दीपा ने भाला फेंक, तैराकी में भाग लिया था. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तैराकी में पदक जीत चुकी है. भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकॉर्ड है जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीते थे. दीपका का रजत पदक भारत का पैरालंपिक खेलों में तीसरा पदक है. उनसे मरियप्पन थांगवेलु और वरुण सिंह भाटी ने पुरूषों की उंची कूद में क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीते थे.

रिकॉर्ड्स (मुख्य)

अंतर्राष्ट्रीय खेलों में 18 पदक।

  • वर्ष 2016 के पैरालम्पिक खेलों में रजत पदक। पहली भारतीय महिला जिन्होंने पैरालम्पिक खेलों में मेडल (शॉट पुट) जीता।
  • वर्ष 2010 को चीन में हुए पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता।
  • वर्ष 2011 में, आईपीसी विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
  • कैरियर टर्निंग प्वाइंट वर्ष 2011 विश्व चैंपियनशिप में, जब उन्होंने शॉट पुट में रजत पदक जीता
    रोचक जानकारियाँ
  • वह हरियाणा के सोनीपत जिले में एक हिंदू जाट परिवार में पैदा हुई थीं।
  • वर्ष 1999 में, उन्हें पता चला कि उनके रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर और जिसकी वजह से वह चल नहीं सकती। रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर ठीक करने के लिए उनकी 31 सर्जरी करनी पड़ी।
  • उन्हें अपनी कमर के नीचे का कोई अंग महसूस नहीं होता।
    वह भाला फेंक खेल में एशियाई रिकॉर्ड रखती हैं।
  • उन्होंने विभिन्न साहसिक खेलों में भाग लिया है और उन सब में पुरस्कार प्राप्त किया है।
  • दीपा एक उत्साही मोटर-बाइकर हैं। उन्होंने 8 दिनों में 1700 किमी मोटरसाइकिल चलाई है, और वह भी शून्य तापमान वाले परिस्थियों में।
  • गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन पैरा चैंपियंस कार्यक्रम में उनका समर्थन करती है।
  • दीपा मलिक 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में शारीरिक शिक्षा और खेल कार्यरत समूह की सदस्य भी रही हैं।
  • वर्ष 2012 में, भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • 12 सितंबर 2016 को, उन्होंने रियो पैरालिंपिक में रजत पदक जीता और पैरालंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी।
  • वर्ष 2017 में, उन्हें प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

युवराज सिंह का जन्म और शुरूआती जीवन (Yuvraj Singh early life)

युवराज सिंह का जन्म चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में 12 दिसंबर सन 1981 को हुआ. इनके पिता योगराज सिंह है जोकि एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके है साथ ही ये पंजाबी फिल्म्स के अभिनेता भी हैं. युवराज सिंह की माता शबनम सिंह है, एवं भाई जोरावर सिंह है. युवराज सिंह को बचपन में टेनिस और रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में रुचि थी और वे इसमें काफी अच्छे भी थे. इन्होंने नेशनल अंडर 14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप भी जीती थी. इन्हें इन खेलों में ज्यादा रूचि थी किन्तु इनके पिता यह नहीं चाहते थे. उन्होंने युवराज को क्रिकेट खेलने के लिए फ़ोर्स किया. वे युवराज को इसके लिए रोज ट्रेनिंग भी देते थे. इनके पिता चाहते थे कि युवराज उनकी ही तरह एक फ़ास्ट गेंदबाज बने किन्तु युवराज स्केटर बनना चाहते थे. युवराज सिंह ने अपनी स्कूली पढ़ाई चंडीगढ़ के ही DAV पब्लिक स्कूल से की. इन्होंने चाइल्ड स्टार के रूप में 2 फिल्मों ‘मेहंदी सगण दी’ एवं ‘पट सरदार’ में भी काम किया. कुछ सालों बाद इनके माता – पिता का तलाक़ हो गया और युवराज सिंह अपनी माता शबनम सिंह के साथ रहने लगे. इस तरह इनका शुरूआती जीवन बीता.

युवराज सिंह का कैरियर (Yuvraj Singh Career)

युवराज सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में पंजाब अंडर – 12s से नवंबर सन 1995-1996 में जम्मू और कश्मीर – 16s के खिलाफ की. इसके बाद सन 1996-1997 में इन्होंने पंजाब अंडर – 19s से हिमाचलप्रदेश के खिलाफ मैच खेला. इसी तरह इन्होंने सन 2000 तक भारत में राष्ट्रीय लेवल में मैच खेले. इसके बाद उन्होंने सन 2000 में ही अंडर -19s क्रिकेट वर्ल्डकप, जिसमें मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी में भारत ने जीत हासिल की थी, में अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से ‘प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट अवार्ड’ हासिल किया. युवराज के अंडर -19s वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें ICC नॉकआउट ट्राफी के लिए भारतीय टीम में चयनित किया गया. यहाँ से उन्होंने अपना पहला वन डे अन्तर्राष्ट्रीय मैच केन्या के खिलाफ खेला. लेकिन यह टूर्नामेंट में भारत की जीत नहीं हुई किन्तु युवराज का इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन रहा. इसी टूर्नामेंट में युवराज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 82 बॉल्स में 84 रन बनाये. इसके अलावा इसी टूर्नामेंट में श्रीलंका के खिलाफ भी इनका बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा.
युवराज के लाइफ की सबसे बड़ी इनिंग जोकि वे कभी नहीं भूल सकते, जब वे जुलाई सन 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज में खेले थे. इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ फाइनल्स में 324 रन्स का लक्ष्य बनाया, उस समय भारत ने बहुत अच्छी शुरुआत की किन्तु एक के बाद एक विकेट गिनने के कारण भारत का स्कोर बहुत कम हुआ, भारत का स्कोर 135/5 था जब सचिन तेंदुलकर आउट हो गए. सचिन तेंदुलकर जीवन परिचय, अचीवमेंट यहाँ पढ़ें| तब युवराज ने इस मैच में कप्तान मोहम्मद कैफ़ के साथ पार्टनरशिप कर बेहतरीन प्रदर्शन दिया. उनकी बेहतरीन बैटिंग से इस मैच को जगा दिया, और भारत की जीत हुई. युवराज ने सन 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला शतक बनाया. लेकिन उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रहा, जब ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ मैच था. युवराज ने 119 बॉल्स में 139 रन्स का स्कोर किया. युवराज का अगला शतक (110बॉल्स में 114 रन्स) वेस्टइंडीज के खिलाफ रहा, जहाँ भारत राउंड रोबिन लीग के अंतिम मैच में भारी दबाव था.
सन 2005 – 2006 में दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान एवं इंग्लैंड के खिलाफ हुई लगातार 3 सीरीज में युवराज को “मैन ऑफ़ दा सीरीज” का ख़िताब दिया गया. इसमें युवराज में 15 मैच में 3 शतक और 4 अर्द्धशतक लगाये. सितम्बर सन 2007 में राहुल द्रविण के इस्तीफे के बाद महेंद्र सिंह धोनी कप्तान के रूप में चुने गए, उसी समय युवराज को भारतीय क्रिकेट में उप कप्तान के रूप में चुना गया. महेंद्र सिंह धोनी जीवन परिचय एवं रिकार्ड्स को यहाँ पढ़ें| नवंबर सन 2007 में युवराज ने पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन दिया. पाकिस्तान के खिलाफ़ हुई सीरीज में युवराज ने 5 मैच में 4 अर्द्धशतक लगाकर “मैन ऑफ़ दा सीरीज” की ट्राफी हासिल की. वन डे में इनका बहुत ही अच्छा प्रदर्शन रहा, ये टेस्ट मैच में नियमित रूप से खिलाड़ी नहीं थे किन्तु किसी खिलाड़ी के घायल होने की जगह पर उन्हें रखा गया था. इन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच सन 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ सौरव गांगुली की जगह पर खेला, किन्तु टेस्ट टीम में अपनी जगह नहीं बना सके. युवराज ने अपने टेस्ट खाते में 3 शतक और 3 अर्द्धशतक बनाये और उनके तीनों शतक पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में थे. इस तरह इनका कैरियर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चलता जा रहा है.

युवराज सिंह वर्ल्ड कप्स एवं T–20 वर्ल्ड कप्स में

राहुल द्रविण के इस्तीफे के बाद युवराज का नाम भारतीय क्रिकेट टीम के उप कप्तान के रूप में सामने आया. T -20 वर्ल्ड कप 2007 में इन्हें एक हार्ड हिट्टर बल्लेबाज के रूप में टीम में शामिल किया गया. इस वर्ल्ड कप के शुरू होने से पहले भारत की इंग्लैंड के साथ 7 मैच सीरीज हुई, जिसमें इंग्लैंड के मस्कारंयूस ने युवराज के एक ओवर पर 5 सिक्स लगाये थे. यह युवराज से सहन नहीं हुआ. 12 सितम्बर सन 2007 को T – 20 वर्ल्डकप की शुरुआत हुई. 19 सितम्बर को भारत का इंग्लैंड के खिलाफ मैच था, जिसमें भारत की करो या मरो जैसी स्थिति हो गई थी एवं मैच सिर्फ 17 ओवर का था, तब युवराज स्ट्राइक पर थे और बोलिंग स्टुअर्ट ब्रॉड कर रहे थे. युवराज ने 6 बॉल्स में 6 छक्के लगाये एवं मात्र 12 बॉल्स में अपना अर्द्धशतक पूरा किया. उस समय का T -20 वर्ल्ड कप भारत के नाम हुआ. वे इस टूर्नामेंट के टॉप परफोर्मर भी रहे.
इसके बाद बहुत सी सीरीज हुई, जिसमें इनका प्रदर्शन अच्छा रहा बहुत से कप्स इन्होंने जीते तथा बहुत से मैच में युवराज कुछ खास प्रदर्शन न दिखा सके. इसके बाद ICC वर्ल्ड कप सन 2011 में युवराज ने 4 बार ‘मैन ऑफ़ दा मैच अवार्ड’ जीता. जिसके चलते इन्हें ‘मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट’ का भी अवार्ड मिला. सन 2011 में ही युवराज अपनी अब तक की जिन्दगी के सबसे कठिन पड़ाव से गुजर रहे थे, जब उन्हें यह पता चला कि उन्हें बाएँ लंग में कैंसर हुआ है जोकि स्टेज – 1 में था. वे कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के लिए US के बोस्टन में कैंसर रिसर्च सेंटर में गए. लगभग 1 साल के अंदर ही इनका इलाज पूरा हो गया, और वे अप्रैल सन 2012 में भारत वापस आ गए. ठीक होने के बाद युवराज ने T – 20 मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला. इस तरह इनका वर्ल्ड कप्स और T – 20 वर्ल्ड कप्स में प्रदर्शन रहा.

युवराज सिंह आईपीएल में

युवराज सिंह आईपीएल के शरुआती 2 सीजन में किंग्स 11 पंजाब टीम के कप्तान बने. यह टीम बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा और बिज़नस मैगनेट नेस वाडिया की थी. उस वक्त ये आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी थे. इन्होंने बहुत से ODI’s मैच खेले जिसमे उन्होंने भारतीय टीम को जीत दिलाई. क्रिकेट के इतिहास में ये सबसे बेहतरीन फील्डर में से एक माने जाते हैं. युवराज, जोकि मूल रूप से बॉल के बड़े हिट्टर के रूप में जाने जाते है, आईपीएल में उनका यह अंदाज देखने को नहीं मिला. लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें थी किन्तु वे उनकी उम्मीदों में खड़े नहीं उतर पाए. इस कारण अगले सीजन में इस टीम की कप्तानी कुमार संगकारा को दे दी गई. सन 2011 के आईपीएल में एक न्यू टीम पुणे वारियर्स आई. इस टीम में युवराज को ख़रीदा गया और वे इस टीम के कप्तान चुने गए. इसमें युवराज ने 14 मैच में 343 रन्स का स्कोर किया. किन्तु कुछ controvarsy के चलते सन 2012 में यह टीम आईपीएल में नहीं दिखी.
इसके बाद सन 2014 में युवराज को 14 करोड़ में रोयल चंल्लेंजर्स बैंगलोर टीम ने ख़रीदा, किन्तु किंगफ़िशर के एक एम्प्लोयी ने युवराज को लैटर लिखा कि वे इस टीम के लिए न खेले. इसके बाद सन 2015 में युवराज को दिल्ली डेरडेविल्स टीम ने 16 करोड़ में ख़रीदा. सन 2016 में युवराज को सनरैसर हैदराबाद ने 7 करोड़ में ख़रीदा. इस टीम में युवराज का काफ़ी अच्छा प्रदर्शन रहा. इन्होंने 23 बॉल्स में 38 रन्स बनाये. इस तरह इनका आईपीएल में अब तक का सफर रहा.

युवराज सिंह के खेलने का तरीका

युवराज सिंह बाएँ हाथ से खेलने वाले बल्लेबाज हैं, और स्लो लेफ्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स बोलिंग करते हैं. इसके जरिये वे अपने कैरियर में आगे बढ़े. स्पिन बोलर की तुलना में वे तेज बोलर द्वारा की बॉल्स को अच्छे से खेलते हैं, सन 2005 के इंडियन ऑइल कप युवराज के कैरियर का टर्निंग पॉइंट था. युवराज बहुत ही अच्छे फील्डर हैं और इनका फील्डिंग के दौरान स्टंप पर लक्ष्य बहुत अच्छा है. युवराज एक आक्रामक तेज बल्लेबाज हैं जिनका स्ट्राइक रेट T – 20 में 150 से ज्यादा का और 90 के आस – पास का ODI’s में है. इन्हें विस्फोटक बल्लेबाज भी कहा जाता है. जब युवराज सिंह फॉर्म में आते है तब उनका मैच देखते ही बनता है क्यूकि उस वक्त वे बहुत ही आसानी से 4’s और 6’s लगा देते है. सूत्रों की माने तो कहा जाता है कि युवराज ने सन 1999 के बाद से सबसे ज्यादा रन आउट किये हैं. इस तरह युवराज के खेलने का तरीका है जिसे लोग बहुत पसंद करते है.

युवराज सिंह की उपलब्धियाँ (Yuvraj Singh Achievements)

युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के बहुत ही शानदार खिलाड़ी है जिस वजह से इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
• सन 2007 के ICC वर्ल्डकप T -20 मैच में इन्होंने 6 बॉल में 6 सिक्सेस लगाये.
• ये पहले आल राउंडर बने जिन्होंने सिंगल वर्ल्डकप में 300 से ज्यादा रन्स और 15 से ज्यादा विकेट्स लिए.
• सन 2011 के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला.
• इन्हें सन 2012 में भारत के राष्ट्रपति “श्री प्रणव मुखर्जी” द्वारा भारत का दूसरा सबसे बड़ा खेल रत्न अवार्ड “अर्जुन” अवार्ड से नवाजा गया.
• इन्हें सन 2014 में “पदम्श्री” अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.
• फरवरी सन 2014 में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया.

युवराज सिंह का क्रिकेट के अलावा व्यक्तिगत जीवन

युवराज सिंह क्रिकेटर होने के साथ – साथ असल जिन्दगी में भी बहुत पॉपुलर हैं. इन्होंने बहुत से टीवी एड्स में भी काम किया. जिसमें ये ब्रांड्स एम्बेसडर भी रहे. युवराज ने बहुत से मैच में ‘मैन ऑफ़ दा मैच’ का खिलाब जीता, जिसके चलते इनकी फीमेल फेन फोल्लोविंग ज्यादा थी. इस वजह से उनके बहुत से अफ्फैर भी रहे. अफवाहों के चलते यह पता चला है कि युवराज के बहुत ही अभिनेत्रियों के साथ अफेयर्स थे किन्तु सन 2015 में इन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्री हेज़ल कीच के साथ सगाई की एवं हालहि में 30 नवंबर सन 2016 को युवराज ने हेज़ल कीच के साथ शादी कर ली. इस तरह इनका अब तक का व्यक्तिगत जीवन बीता.

युवराज सिंह के जीवन के कुछ रोचक तथ्य

युवराज सिंह के जीवन के कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं-
• युवराज सिंह बचपन में रोलर स्केटिंग और टेनिस में बहुत ही अच्छे थे, इन्होंने रोलर स्केटिंग में नेशनल U – 11 चैंपियनशिप भी जीती.
• युवराज के पिता फॉर्मर भारतीय क्रिकेटर और पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता हैं.
• युवराज ने बचपन में बाल कलाकार के रूप में 2 पंजाबी फिल्म्स ‘पट सरदार’ और ‘मेहेन्दी सगण दी’ में काम किया.
• युवराज सिंह को बचपन से ही दुसरे खेलों में रुचि थी किन्तु इनके पिता ने इन्हें क्रिकेट के लिए ही जोर दिया. नवजोत सिंह सिन्धु युवराज के कोच बने, किन्तु उनकी बैटिंग में कोई भी इम्प्रूवमेंट नहीं हुई तब इनके पिता ने कोच के रूप में इन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ाया.
• शुरुआत में इनके पिता ने इन्हें ट्रेन किया इसके बाद इन्हें मुंबई के एल्फ – वेंगसरकर क्रिकेट एकेडमी में भेज दिया गया.
• दिसम्बर सन 1999 में युवराज ने बिहार के खिलाफ मैच खेल कर U- 19 कूच बिहार ट्राफी में 3 शतक लगाकर 404 बॉल्स में 358 रन्स बनाये. सबसे दिलचस्प बात यह है कि उस समय MS धोनी बिहार की टीम से थे.
• जब युवराज बहुत ही कम उम्र के थे तक उनके पिता का तलाक़ हो गया और युवराज अपनी माँ के साथ रहने लगे.
• उनका मानना है कि 12 उनका लकी नंबर है.
• सबसे पहले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में युवराज को 21 लाख रूपये का चेक मिला जिसे उन्होंने अपनी माँ को घर खरीदने के लिए दिया.
• सन 2007 ICC T -20 वर्ल्डकप में इन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 6 बॉल्स में 6 छक्के मार कर एक इतिहास कायम कर दिया.
• सचिन तेंदुलकर के बाद, युवराज ही एक मात्र खिलाड़ी हैं जिन्हें इंग्लिश काउंटी टीम यॉर्कशायर द्वारा साइंड किया गया.
• सन 2011 के वर्ल्डकप के बाद इन्हें पता चला कि इन्हें लंग कैंसर है किन्तु वे कमजोर नहीं पड़े और कीमोथेरेपी के जरिये वे ठीक हो कर वापस भी लौट आये.
• युवराज ने वौइस् आर्टिस्ट के रूप में बॉलीवुड एनिमेटेड फ़िल्म ‘जम्बो’ में काम किया.
• युवराज सिंह, सचिन तेंदुलकर को अपना प्रेरणास्त्रोत समझते हैं.
• युवराज ने अपने बाएँ हाथ के बाइसेप में रोमन में “XII” टेटू बनवाया है.
• युवराज ने कैंसर से पीढित रोगियों के लिए youwecan की स्थापना की.
• सन 2013 में युवराज ने अपनी ऑटोबायोग्राफी “दा टेस्ट ऑफ़ माय लाइफ : क्रिकेट से लेकर कैंसर तक और उससे वापस” रिलीज़ की.

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